What is The Zero Waste Process in India :हेलो दोस्तों फिर से आज एक और नए पोस्ट में आपका स्वागत है। जो भी लोग जीरो वेस्ट की शुरुआत करना चाहते है उन्हें यह पोस्ट जरूर पढ़ना चाहिए। आज हम आपको जीरो वेस्ट विधि क्या है? इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। आपने देखा होगा घर में हर दिन कचरा निकलता है: दूध का पैकेट, सब्ज़ी के छिलके, प्लास्टिक की थैली, बचा हुआ खाना।
हम सब इसे नाली में या डस्टबिन में फेंक देते हैं और फिर भूल जाते हैं। लेकिन यही चीज़ें जब लाखों घरों से निकलती हैं तो शहर के बाहर बड़े-बड़े कूड़े के पहाड़ बन जाते हैं। Zero Waste विधि इसी को रोकने का तरीका है ये कोई बड़ा विज्ञान नहीं बल्कि रोज़ के कामों में थोड़ा समझदारी दिखाने की बात है।
जीरो वेस्ट विधि क्या है? | What is The Zero Waste Process in India
Zero Waste विधि का मतलब है ऐसा तरीका अपनाना जिससे हम अपने घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को जितना हो सके कम कर सकें। सीधी भाषा में कहें तो जो चीज़ फेंकने की सोच रहे हैं तो उसके पहले खुद से ये तीन सवाल कीजिये:
- क्या इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है?
- क्या ये रिसाइकल हो सकती है?
- क्या ये सड़कर खाद बन सकती है?
अगर इन सवालों का जवाब हां है तो समझिए आपने Zero Waste की पहली सीढ़ी चढ़ ली।
जीरो वेस्ट विधि के 5 आसान स्टेप्स
1. Refuse: जो चीज़ जरूरी नहीं उसे साफ़ मना कर दो। जैसे प्लास्टिक की थैली, होटल का छोटा शैम्पू, फ्री वाले पंपलेट ये सब फालतू बोझ हैं।
2. Reduce: कम चीज़ें खरीदो, ज़रूरत भर की ही चीज़ घर लाओ। इससे फालतू सामान भी नहीं जमा होगा और कचरा भी कम बनेगा।
3. Reuse : पुराने डिब्बे, बोतल, कपड़े सबका दोबारा इस्तेमाल खोजो। दादी-नानी के टाइम पर ऐसा ही तो होता था चीज़ें फेंकी नहीं जाती थीं।
4. Recycle: जो चीज़ दोबारा चल नहीं सकती उसे रिसाइकल करवा दो जैसे कांच की बोतलें, पुराना पेपर, टीन का डिब्बा।
5. Rot: सब्ज़ियों के छिलके, बचा खाना या चाय की पत्ती इसे मिट्टी में डाल दो कुछ ही दिनों में बढ़िया खाद बन जाएगी।
और पढ़े> जीरो वेस्ट के 5 सिद्धांत क्या हैं?
इसे कैसे अपनाएं?
- बाजार जाएं तो झोला साथ ले जाएं
- सब्ज़ी के छिलके से घर में खाद बनाएं
- बचे हुए खाने से पराठा या सब्ज़ी बना लें
- पुराने कपड़े से झोला या पोछा बनाएं
- शादी या बर्थडे में सिंगल यूज़ चीज़ें ना इस्तेमाल करें
जीरो वेस्ट के फायदे क्या हैं?
- कम कचरा: डस्टबिन आधा खाली मिलेगा
- पैसे की बचत: जो चीज़ दोबारा चल सकती है, वो दोबारा खरीदनी नहीं पड़ती
- धरती को राहत: मिट्टी, पानी, हवा — सबको राहत मिलती है
- सुकून वाली सोच: हर चीज़ की कद्र करने की आदत बनती है
निष्कर्ष
जीरो वेस्ट विधि कोई बड़ा बदलाव नहीं, बस रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़ी सी समझदारी है। सोचिए अगर हर घर हर दिन सिर्फ एक चीज़ फेंकने की बजाय उसे संभाल ले, तो कितना फर्क पड़ेगा? यही सोच Zero Waste की असली ताकत है – सीधी, सादी और असरदार।
आपसे सवाल
क्या आपने कभी कुछ ऐसा इस्तेमाल किया जिसे बाकी लोग फेंक देते हैं?
जैसे – खाली बोतल में पौधा लगाना या पुराने कपड़े से बैग बनाना?
नीचे बताइए आपकी कहानी किसी और को भी सोचने पर मजबूर कर सकती है।
FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. जीरो वेस्ट विधि क्या है?
यह एक तरीका है जिसमें हम कचरे को कम करने के लिए चीज़ों को दोबारा इस्तेमाल, रिसाइकल और कम्पोस्ट करते हैं।
2. जीरो वेस्ट विधि के कितने चरण होते हैं?
इसके 5 चरण होते हैं: Refuse, Reduce, Reuse, Recycle और Rot (Compost बनाना)।
3. क्या जीरो वेस्ट विधि घर पर अपनाई जा सकती है?
हाँ, छोटे-छोटे कदमों से इसे हर घर में आसानी से अपनाया जा सकता है।
4. Zero Waste से पैसे कैसे बचते हैं?
कम खरीदने और चीज़ों को फिर से इस्तेमाल करने से मासिक खर्च कम होता है।
5. क्या जीरो वेस्ट विधि पर्यावरण के लिए फायदेमंद है?
बिलकुल! इससे कचरा कम होता है, ज़मीन, पानी और हवा भी साफ़ रहती है।

(Author)
Shiv Bhardwajदिल्ली निवासी और ZeroWasteCook.in के संस्थापक हैं।वे पिछले 4 वर्षों से भारतीय किचनों को प्लास्टिक-मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनकी Zero Waste यात्रा एक साधारण बदलाव से शुरू हुई जब उन्होंने बाजार से प्लास्टिक की जगह खादी का थैला उठाया और अपने किचन में स्टील के डिब्बों को जगह दी।
