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किचन वेस्ट से खाद कैसे बनाएं? | What is the Indian Method of Composting?

What is the Indian Method of Composting

What is the Indian Method of Composting :नमस्ते दोस्तों आज हम आपके लिए बहुत ही खास टॉपिक लेकर आये हुए है जिसका नाम है किचन वेस्ट से खाद कैसे बनाएं। अधिकतर लोगो को इसके बारे में नही पता है की वह किचन वेस्ट से खाद बना सकते हैं। इस पोस्ट में हम आपको पूरी जानकारी देने वाले है जिसे फॉलो कर के आप बहुत ही आसानी से घर पर ही खाद बना सकते हैं।

भारत जैसे देश में जहाँ कृषि और पर्यावरण दोनों हमारे जीवन का हिस्सा हैं वहाँ कंपोस्टिंग कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है। हमारे दादी-नानी के जमाने से ही लोग घर का जैविक कचरा, गोबर और सूखे पत्तों से ज़मीन की ताकत वापस लाते आ रहे हैं। आजकल इसे फेन्सी नाम दिया गया है “Composting“, लेकिन भारतीय तरीका पहले से ही सस्टेनेबल, असरदार और मुफ्त है।

Table of Contents

कंपोस्टिंग क्या है? | Composting Kya Hai

कंपोस्टिंग यानी जैविक कचरे को सड़ाकर पोषक खाद में बदलना। इसमें आप सब्जियों के छिलके, पुराने फूल, बचा खाना, गोबर, सूखे पत्ते, चायपत्ती वगैरह का इस्तेमाल करते हैं। भारतीय कंपोस्टिंग की खास बात ये है कि इसमें गोबर, मिट्टी और पत्तों का मिश्रण तेज़ी से और प्राकृतिक तरीके से खाद बनाता है जिसे ‘सड़ी खाद’ भी कहा जाता है।

भारतीय विधि से कंपोस्ट बनाने के 5 आसान तरीके

1. खाद बनाने के लिए सही जगह का चुनाव करें

अगर आप गाँव में हैं तो ये काम और भी आसान है। लेकिन शहर में भी आप अपने घर की छत, बालकनी या आंगन का एक कोना चुन सकते हैं।

क्या ज़रूरी है?

  • जमीन पर खुली जगह हो तो बढ़िया
  • छांव हो और पानी जमा न हो
  • जानवर या कीड़े-मकौड़े दूर रहें

अगर जगह न हो तो प्लास्टिक ड्रम, गत्ते की पेटी या पुराने मटके का इस्तेमाल करें।

2. कच्चा माल (organic waste) इकट्ठा करें

अब बात करते हैं उन चीज़ों की जो खाद बनाने के काम आती हैं। इनमें गीली और सूखी दोनों तरह की सामग्री होती है।

1. गीला कचरा:

    • सब्जी और फल के छिलके
    • चायपत्ती
    • बचा हुआ अनपका खाना
    • गोबर (गाय, भैंस का – सूखा या गीला)

    2. सूखा कचरा:

    • सूखे पत्ते
    • भूसी या भूसी की राख
    • पुराने फूल
    • कागज (non-glossy)

    देसी तरीका है- 1 हिस्सा गोबर + 2 हिस्सा सूखा पत्ता + 1 हिस्सा गीला कचरा। ये संतुलन जरूरी होता है।

    3. परत-दर-परत भरना शुरू करें

    यह भारतीय विधि की जान है परत लगाकर भरना। इससे कंपोस्टिंग जल्दी और बराबर होती है।

    लेयरिंग कैसे करें:

    1. नीचे कुछ सूखे पत्ते या भूसी बिछाएं
    2. उस पर गोबर की पतली परत डालें
    3. फिर गीले कचरे की परत
    4. फिर से सूखे पत्ते
    5. थोड़ा मिट्टी छिड़कें
    6. ऊपर से ढक दें बोरा, प्लास्टिक या मिट्टी की परत से

    हर परत के बीच में थोड़ा पानी छिड़कें, लेकिन इतना नहीं कि गीला गीला हो जाए।

    4. हफ्ते में एक बार मिलाएं और धूप से बचाएं

    जब परतें भर जाएं तो उसे छोड़ना नहीं है। हर 5-7 दिन में उसे पलटना (turning) ज़रूरी होता है।

    क्यों जरूरी है?

    • हवा आएगी तो अंदर गर्मी नहीं बढ़ेगी
    • बैक्टीरिया को ऑक्सीजन मिलेगा
    • बदबू और कीड़े नहीं आएंगे

    टिप:अगर ज्यादा बदबू आए तो समझिए गीला हिस्सा ज्यादा है सूखा पत्ता डालिए। अगर ज्यादा सूखा लगे तो थोड़ा पानी छिड़किए।

    5. खाद तैयार होने पर पहचानें और इस्तेमाल करें

    लगभग 45 से 60 दिन में भारतीय विधि से तैयार खाद मिल जाती है।

    तैयार खाद की पहचान:

    1. रंग – गहरा भूरा या काला
    2. गंध – मिट्टी जैसी सोंधी खुशबू
    3. टच – नमीदार लेकिन चिपचिपा नहीं
    4. कोई बड़ा टुकड़ा या कचरा न बचे

    अब इसे गमलों में, खेतों में या किचन गार्डन में इस्तेमाल किया जा सकता है।

    पारंपरिक भारतीय कंपोस्टिंग के 3 खास तरीके

    1. गड्ढा खाद विधि (Pit Composting)

    गांवों में सबसे आम तरीका। एक छोटा गड्ढा खोदकर उसमें परतें भरकर खाद बनाई जाती है।

    • सस्ता
    • जमीन से ऑक्सीजन मिलती है
    • बारिश से बचाव होता है

    2. गोबर और भूसी मिश्रण

    पुराने गोबर को भूसी और राख के साथ मिलाकर उसे ढक दिया जाता है। 20–30 दिन में कंपोस्ट तैयार।

    • बहुत पोषक
    • फसल के लिए उपयुक्त
    • बदबू नहीं करता

    3. NADEP विधि (Shri Narayan Deotale का तरीका)

    यह थोड़ी उन्नत तकनीक है जिसमें ईंटों से एक टैंक बनाया जाता है और उसमें परतों से खाद बनती है।

    • बड़े पैमाने पर खाद बनाने के लिए
    • 90 दिन में शानदार परिणाम
    • सरकार भी इसे प्रमोट करती है

    कंपोस्टिंग करते समय ध्यान देने वाली बातें

    बातक्यों ज़रूरी है
    गीला-सूखा संतुलनसड़ने की प्रक्रिया सही रहे
    ढकनामच्छर, मक्खी और बदबू से बचाव
    धूप से बचानाबैक्टीरिया को ज़िंदा रखने के लिए
    समय-समय पर मिलानाऑक्सीजन के लिए
    मांस, तेल या प्लास्टिक से बचनाये खाद खराब कर सकते हैं

    FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    1. क्या गोबर कंपोस्ट के लिए ज़रूरी है?

    नहीं, लेकिन गोबर कंपोस्टिंग की प्रक्रिया को तेज करता है और मिट्टी के लिए बहुत फायदेमंद है।

    2. क्या सिर्फ किचन वेस्ट से खाद बन सकती है?

    हाँ, लेकिन उसमें सूखा हिस्सा जैसे पत्ते या कागज ज़रूर मिलाना पड़ेगा।

    3. कंपोस्टिंग में कितना समय लगता है?

    औसतन 45 से 60 दिन। मौसम, सामग्री और रख-रखाव पर भी निर्भर करता है।

    4. क्या शहर में कंपोस्टिंग संभव है?

    बिलकुल! आप बालकनी, छत या पुराने ड्रम में आसानी से कर सकते हैं

    5. क्या कंपोस्ट को स्टोर किया जा सकता है?

    हाँ, एक बार सूख जाने के बाद उसे कंटेनर या बोरी में 6 महीने तक रखा जा सकता है।

    निष्कर्ष: देसी तरीका सरल, सस्ता और सबसे असरदार

    भारत में सदियों से जैविक खाद बनाने की परंपरा रही है। आज जब पूरी दुनिया Sustainable Solutions खोज रही है, हमें बस अपने पूर्वजों के तरीके अपनाने की ज़रूरत है। तो क्यों न आज ही एक गड्ढा खोदें, एक बिन लें और अपने किचन कचरे को पोषक खाद में बदल दें।

    स्वस्थ धरती, हरा बग़ीचा और मुफ्त की जैविक खाद सबकुछ आपके अपने घर से।

    इस पोस्ट में किचन वेस्ट से खाद बनाने के 5 आसान तरीको के बारे में बताया गया है जो आपको खाद बनाने में मदद करेंगे। अगर आपके पास कोई और तरीका है खाद बनाने को लेकर तो उसे हमारे साथ जरुर शेयर करें।

    आपको हमारी दी गयी जानकारी What is the Indian Method of Composting? कैसी लगी हमें कमेन्ट में जरुर बताये और इसे अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जरुर शेयर करें।

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