What Are The 5 Steps in Composting : क्या आपको पता है कि आपके किचन से निकलने वाले छिलके, चायपत्ती, फल-सब्जी के बचे हिस्से को कचरा नहीं खजाना कहा जाना चाहिए? जी हां, अगर आप चाहें तो हर दिन के गीले कचरे से अपने घर में शुद्ध और मुफ्त की जैविक खाद (compost) बना सकते हैं। ये खाद न सिर्फ आपके पौधों को हरा-भरा रखेगी बल्कि आपको प्लास्टिक और गंदगी से भी दूर रखेगी। आज के ब्लॉग में हम बात करेंगे कम्पोस्टिंग के 5 आसान स्टेप जिन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति चाहे शहर में हो या गांव में घर पर जैविक खाद तैयार कर सकता है।
कम्पोस्टिंग क्या है और क्यों ज़रूरी है?
कंपोस्टिंग का मतलब होता है – जैविक कचरे को खाद में बदलना। यानी ऐसा कचरा जो सड़ सकता है जैसे:
- सब्जियों के छिलके
- बचा हुआ खाना
- चाय की पत्ती
- फल के बीज
- पुराने फूल-पत्ते
ये सब चीज़ें अगर प्लास्टिक या दूसरे कचरे के साथ फेंकी जाती हैं तो वो पॉल्यूशन का कारण बनती हैं। लेकिन अगर इन्हें सही से जमा किया जाए तो ये उत्पादन बन जाती हैं घर की खाद।
घर में कम्पोस्टिंग बनाने के 5 तरीके | What Are The 5 Steps in Composting?
1. सही जगह और बिन का चुनाव करें
सबसे पहले आपको एक ऐसी जगह चुननी है जहाँ आप रोज़ का गीला कचरा जमा कर सकें। ये जगह:
- बालकनी, छत या किचन का कोना हो सकती है
- अच्छी हवा और थोड़ी धूप वाला कोना हो
- पानी की निकासी हो या नीचे मिट्टी हो तो बेहतर
बिन कैसे लें?
- पुराने ड्रम, बाल्टी, या गत्ते का डिब्बा भी चल सकता है
- कंपोस्ट बिन ऑनलाइन भी मिलते हैं, जो एयर-वेंट और ड्रेन होल्स के साथ आते हैं
- नीचे एक ट्रे रखें ताकि पानी टपके तो गंदगी न फैले
✅ टिप: प्लास्टिक कंटेनर को खुद DIY कंपोस्ट बिन में बदला जा सकता है बस कुछ छेद करें और ढक्कन रखें।
2. गीला और सूखा कचरा पहचानना सीखें
कंपोस्टिंग में दो प्रकार का कचरा होता है ग्रीन वेस्ट (गीला) और ब्राउन वेस्ट (सूखा)
ग्रीन वेस्ट (नमी और नाइट्रोजन से भरपूर)
- सब्जी के छिलके
- बचा हुआ खाना
- चायपत्ती
- फल के टुकड़े
ब्राउन वेस्ट (कार्बन से भरपूर)
- सूखे पत्ते
- अखबार या पेपर
- लकड़ी की बुरादे
- कार्डबोर्ड के टुकड़े
✅ टिप:अच्छा कंपोस्ट वही होता है जिसमें इन दोनों का संतुलन हो — 1 हिस्सा गीला और 2 हिस्सा सूखा कचरा।
3. परतें लगाना शुरू करें – लेयरिंग टेक्निक
अब जब आपके पास कचरे की समझ आ गई, तो बिन में कचरा डालना शुरू करें लेकिन सही तरीके से परतों में।
कैसे करें लेयरिंग?
- सबसे नीचे ब्राउन वेस्ट की परत बिछाएं जैसे सूखे पत्ते या कटा हुआ पेपर
- फिर ग्रीन वेस्ट डालें जैसे सब्जियों के छिलके
- फिर से ब्राउन वेस्ट की परत
- ऐसा करते-करते कंटेनर भरने तक जारी रखें
✅ टिप:हर परत के बाद हल्की मिट्टी या पुरानी खाद डालें, इससे गंध भी नहीं आएगी और बैक्टीरिया तेजी से काम करेंगे।
4. समय-समय पर मिलाना और देखभाल करना
कंपोस्ट एक सांस लेने वाली प्रक्रिया है उसे समय-समय पर हिलाना (turn) और देखभाल करना ज़रूरी होता है।
क्यों मिलाना ज़रूरी है?
- ऑक्सीजन मिलेगी
- सड़न नहीं होगी
- कीड़े या दुर्गंध नहीं होगी
कैसे करें?
- हर 3–5 दिन में लकड़ी की छड़ी या हाथ से (दस्ताने पहनकर) पूरा मिक्स कर दें
- अगर ज्यादा गीला लगे तो ब्राउन वेस्ट (जैसे सूखा पेपर) और डालें
- अगर सूखा लगे तो थोड़ा पानी छिड़कें
✅ टिप: बहुत तेज़ बदबू आए तो समझिए ज्यादा गीला हो गया है, ज्यादा सूखा लगे तो पानी की जरूरत है।
5. तैयार खाद निकालना और इस्तेमाल करना
लगभग 30 से 45 दिन में आपका कंपोस्ट तैयार हो जाएगा।
कैसे पहचानें कि कंपोस्ट तैयार है?
- रंग – गहरा भूरा या काला
- गंध – मिट्टी जैसी सोंधी खुशबू
- टेक्सचर – बारीक और नमी से भरपूर
- कोई बड़ा टुकड़ा या नया कचरा न दिखे
कहां और कैसे इस्तेमाल करें?
- गमलों में डालें
- किचन गार्डन या फूलों की क्यारी में
- लॉन में बिछाएं
- पुराने पौधों की मिट्टी में मिलाएं
✅ टिप: ज्यादा खाद तैयार हो तो पड़ोसी, स्कूल या कम्युनिटी गार्डन को दें ये समाज में भी बदलाव लाएगा।
घर में कम्पोस्टिंग के फायदे
| लाभ | विवरण |
|---|---|
| मुफ्त में जैविक खाद | बाहर से खाद खरीदने की जरूरत नहीं |
| मिट्टी की सेहत बेहतर | पोषक तत्व वापस आते हैं |
| पर्यावरण को लाभ | गीला कचरा लैंडफिल में नहीं जाएगा |
| गंध और कीड़े कम | सही से किया जाए तो दुर्गंध नहीं आती |
FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या हर कोई कम्पोस्टिंग कर सकता है?
बिलकुल! चाहे फ्लैट हो या बंगलो, छत हो या बालकनी कोई भी कर सकता है।
2. क्या खराब खाना भी डाल सकते हैं?
हाँ, लेकिन मांस, तेल, और डेयरी जैसे चीज़ें न डालें, इससे दुर्गंध और कीड़े हो सकते हैं।
3. क्या बारिश में भी कम्पोस्टिंग की जा सकती है?
हां, बस बिन को ढककर रखें और पानी ज़्यादा न जाने दें।
4. क्या चायपत्ती और कॉफी ग्राउंड्स डाल सकते हैं?
हां, ये तो बेहतरीन ग्रीन वेस्ट होते हैं और जल्दी सड़ते हैं।
5. क्या पुरानी खाद बार-बार उपयोग की जा सकती है?
नहीं, लेकिन थोड़ी-सी पुरानी खाद नई परत में डालने से प्रक्रिया तेज होती है।
निष्कर्ष: हर घर बन सकता है मिनी फर्टिलाइज़र फैक्टरी
कंपोस्टिंग सिर्फ एक आदत नहीं ये एक हरित क्रांति है जो आपके घर से शुरू होती है। अगर आप रोज़ के गीले कचरे को सोच-समझकर इस्तेमाल करें तो:
- न गंदगी फैलेगी
- न प्लास्टिक से कंटैमिनेशन होगा
- और आपको 100% ऑर्गेनिक खाद मुफ्त में मिलेगी
तो क्यों न आज से ही शुरुआत करें? एक बिन लें, कचरा अलग करें और रोज़ थोड़ा-थोड़ा योगदान दें अपने पौधों, अपने परिवार और धरती माँ के लिए। हमने इस लेख में आपको कम्पोस्टिंग करने के एक एक स्टेप बताएं है अगर आपका किसी भी तरह का कोई कन्फ्यूज़न है तो हमें कमेंट में जरूर बताये और ऐसी जानकारी के लिए जुड़े रहे हमारे साथ।

(Author)
Shiv Bhardwajदिल्ली निवासी और ZeroWasteCook.in के संस्थापक हैं।वे पिछले 4 वर्षों से भारतीय किचनों को प्लास्टिक-मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनकी Zero Waste यात्रा एक साधारण बदलाव से शुरू हुई जब उन्होंने बाजार से प्लास्टिक की जगह खादी का थैला उठाया और अपने किचन में स्टील के डिब्बों को जगह दी।
